एफ.डब्ल्यू. टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन (F.W. Taylor ka Scientific Management)

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एफ.डब्ल्यू. टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन (F.W. Taylor ka Scientific Management)

Overview

इस लेख में हम यूपीएससी परीक्षा से सम्बंधित, लोक प्रशासन के विषय Scientific Management Theory by F.W. Taylor के बारे में अध्ययन करेंगे।

परिचय

मशीन मॉडल: उन्नीसवीं सदी के अंत में फ्रेडरिक डब्ल्यू टेलर (Frederick W. Taylor) और उनके अनुयायियों के काम पर आधारित, वैज्ञानिक प्रबंधन (Scientific Management), प्रमुखता में आया| इसने संगठन के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया, जिसे अक्सर 'मशीन मॉडल' कहा जाता है।

नोट

तथाकथित पारंपरिक या शास्त्रीय संगठन सिद्धांत (classical organisation theory) काफी हद तक वैज्ञानिक प्रबंधन आंदोलन (Scientific Management movement) से प्रेरित है।

टेलर ने स्वयं किसी उद्योग के संपूर्ण संगठन का अध्ययन करने का प्रयास नहीं किया; बल्कि, उन्होंने व्यक्तिगत कार्यकर्ता/श्रमिक के स्तर पर कार्य प्रक्रियाओं के गहन विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया। अपने प्रयोगों से उन्होंने 'सबसे अच्छा तरीका (one best way)' की मौलिक अवधारणा विकसित की, जो अपने समय के लिए वास्तव में क्रांतिकारी थी।

नोट
  • F.W. टेलर को वैज्ञानिक प्रबंधन का जनक और आधुनिक प्रबंधन दृष्टिकोण और तकनीकों का अग्रणी माना जाता है। यह उनके समृद्ध सिद्धांतों और सार्वजनिक और निजी संगठनों की गतिविधियों पर प्रभाव के कारण है।
  • 'वैज्ञानिक मैनेजमेंट (Scientific Management)' नाम लुइस ब्रांडीज (Louis Brandies - 1910) द्वारा दिया गया था।
  • वैज्ञानिक प्रबंधन (Scientific Management) को प्रबंधन का पहला सुसंगत सिद्धांत माना जाता है।
  • टेलर के अनुसार 'सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन एक सच्चा विज्ञान है'।

पृष्ठभूमि

आइए उन मुद्दों को देखें जो टेलर ने संगठनों में देखे, जिनके कारण उन्हें एक नया प्रबंधन सिद्धांत विकसित करना पड़ा।

औद्योगिक क्रांति से बड़े संगठन बनने लगे। साथ ही कर्मचारियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ। यह सब प्रबंधन की समस्याओं का कारण बना। इन समस्याओं को हल करने के लिए टेलर ने 'रूल ऑफ थंब (Rule of Thumb)' की बजाय उचित 'प्रबंधन का विज्ञान (Science of Management)' अपनाने का सुझाव दिया।

Public Administration - Scientific Management Theory in Hindi
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यद्यपि उनका मूल दृष्टिकोण आम तौर पर आजकल की समस्याओं के लिए अपर्याप्त माना जाता है, परन्तु जब उन्होंने अपने 'सिद्धांतों' को प्रतिपादित किया, तो उन्होंने एक आंदोलन को हवा दी, जिसने तर्कसंगत तरीके से संघठन प्रबंधन को पुनर्गठित किया, और बेतरतीब प्रथाओं को कुशल प्रथाओं के साथ बदला| टेलर के विचार में सुव्यवस्था प्रमुख थी| यह इसलिए था क्यूंकि उन्होंने अपने ज़माने के संघठनो में भारी अव्यवस्था देखी - श्रमिक स्वयं निर्णय लेते थे कि किस कार्य विधियों का पालन किया जाए और प्रत्येक ऑपरेशन के लिए अपने उपकरण स्वयं चुनते थे। उनका प्रबंधन नहीं किया जा रहा था; वे खुद को मैनेज कर रहे थे।

वास्तव में प्रबंधन द्वारा उनके लिए निर्धारित किये गए मानक कार्य प्रक्रियाओं के बजाय, प्रत्येक श्रमिक अपने खुद के ज्ञान से काम कर रहा था, यानि 'रूल ऑफ थंब (Rule of Thumb)' से, जो उसने वर्षों के अनुभव से बनाये थे| इन्हें टेलर ने सच्चे विज्ञान के विपरीत 'पारंपरिक' ज्ञान कहा। फोरमैन और अधीक्षक मूल रूप से श्रमिक को यह बताने में सक्षम ही नहीं थे कि कौन से सटीक तरीकों का पालन करना है; इस प्रकार वे उनसे केवल अपनी 'पहल' और 'दिमाग' का उपयोग करने के लिए आग्रह ही कर सकते थे।

टेलर ने 2 प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डाला:

  1. आलसी प्रबंधक का दर्शन (Lazy manager’s Philosophy) - कम से कम प्रयासों पर आधारित, और सुनियोजित योजना की बजाय कोई समस्या होने पर ही उसके हल के बारे में सोचने का दृष्टिकोण।

    क्योंकि श्रमिक खुद पहल कर रहे थे और अपने लिए सबसे उपयुक्त तरीके खुद तय कर रहे थे। अतः प्रबंधक को लगता था की उसे ज्यादा कुछ करने की जरूरत ही नहीं है|

  2. सोल्डरिंग का कार्य (Act of soldering)

    a. प्राकृतिक सोल्डरिंग (Natural soldering) - अज्ञानता या आलस्य के कारण श्रमिक कम काम करते थे|
    समाधान: प्रबंधन द्वारा उत्साहित करना या मनाना, अथवा दंड देना।

    b. व्यवस्थित सोल्डरिंग (Systematic soldering)
    कारण:
    i. श्रमिक जानबूझकर उत्पादकता कम करते हैं। अगर वो ज्यादा काम करेंगे, तो भविष्य में प्रबंधन उनसे अधिक काम की अपेक्षा करेगा|
    ii. प्रबंधक जानबूझकर निम्न मानक और आसान समय सीमा निर्धारित करते हैं।

नोट

'सोल्डरिंग' की संकल्पना में टेलर ने एक तरह से संगठन में सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारकों और समूह की गतिशीलता (group dynamics) की उपस्थिति को स्वीकार किया है।

नोट

वैज्ञानिक प्रबंधन में दूसरों का योगदान (जिसने टेलर को प्रभावित किया)

  • चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage)
  • एच. टाउन (H. Towne) - उन्होंने प्रबंधन की एक एकीकृत प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया। टेलर उनसे प्रेरित थे।
  • ब्रैंडिस (Brandis)

टेलर के प्रबंधन का दर्शन (Taylor’s philosophy of management)

संगठनात्मक सिद्धांत में टेलर का योगदान उनके द्वारा ASME को प्रस्तुत किए गए चार पत्रों में निहित है, यानी पीस रेट सिस्टम (1895), शॉप मैनेजमेंट (1903), प्रिंसिपल्स ऑफ साइंटिफिक मैनेजमेंट (1911), और आर्ट ऑफ कटिंग मेटल्स (1906)।

नोट

धातु काटने की कला (आर्ट ऑफ कटिंग मेटल्स - 1906): इस पत्र की सामग्री प्रबंधन सिद्धांत के लिए अधिक प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि यह उद्योग और धातु विज्ञान के क्षेत्र में टेलर द्वारा किए गए हजारों प्रयोगों के परिणामों का एक संग्रह थी। ३०,००० से अधिक प्रयोगों का विस्तृत अध्ययन। धातु काटने के प्रयोगों की उपलब्धियों ने अमेरिकी उद्योग के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने इनमें से कुछ प्रयोगों में 'गति और समय के अध्ययन (motion & time study)' का अध्ययन किया - वैज्ञानिक तथ्य-खोज विधियों का इस्तेमाल किया, स्टॉप वॉच और अनुभवजन्य दृष्टिकोण (empirical approach) का इस्तेमाल किया| इस सब ने समय के साथ 'वैज्ञानिक प्रबंधन' की शुरुआत को बल दिया।

टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत (Taylor’s scientific management theory)

टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन चार सिद्धांतों पर आधारित था:

  • प्रथम सिद्धांत - प्रबंधन के एक सच्चे विज्ञान का विकास: प्रत्येक कार्य को करने के लिए सर्वोत्तम विधि का पता लगाना / निर्धारित करना, जैसे की समय और गति अध्ययन (time and motion study) के माध्यम से और श्रम और प्रबंधन के बीच संघर्ष को कम करने के लिए। (अर्थात प्रबंधन/औद्योगिक समस्याओं को हल करने के लिए विज्ञान की विधियों का अनुप्रयोग)

  • द्वितीय सिद्धांत - श्रमिकों का वैज्ञानिक चयन, प्रशिक्षण और विकास - काम करने की परिस्थितियों का मानकीकरण और श्रमिकों का वैज्ञानिक चयन / नियुक्ति, ताकि प्रत्येक कार्यकर्ता को उस कार्य की जिम्मेदारी दी जा सके जिसके लिए वह सबसे उपयुक्त है। प्रबंधन को श्रमिकों को उनकी प्राकृतिक क्षमताओं की पूर्ण प्राप्ति के लिए कार्य करने की अनुमति देनी चाहिए। जैसे की वेतन भुगतान प्रणाली (wage payment system), कार्यात्मक फोरमैनशिप (functional foremanship), श्रमिकों को औपचारिक प्रशिक्षण, यानी औपचारिक शिक्षा और श्रमिकों का विकास। इस प्रकार उन्होंने कार्मिक प्रबंधन (personnel management) के लिए एक ठोस आधारशिला रखने का प्रयास किया।

  • तृतीय सिद्धांत - 'काम का विज्ञान (science of work)' और वैज्ञानिक रूप से चयनित और प्रशिक्षित श्रमिकों का एक साथ आना - यह मानसिक क्रांति का कारण बनता है।

  • चतुर्थ सिद्धांत - प्रबंधकों और श्रमिकों के बीच जिम्मेदारियों का विभाजन और उनके बीच निरंतर और अंतरंग सहयोग - यह 'मानसिक क्रांति' द्वारा संभव हो पाता है।

उपरोक्त चार सिद्धांतों में से कोई भी अलग से, अकेले वैज्ञानिक प्रबंधन नहीं कहा जा सकता है। चारों मिलकर ही वैज्ञानिक प्रबंधन की नींव रखते हैं|

वैज्ञानिक प्रबंधन अपने कवरेज में व्यापक है| इसके लिए निम्नलिखित दो बुनियादी शर्तों की पूर्ति की आवश्यकता होती है, जिसके बिना इसे किसी भी प्रतिष्ठान में अस्तित्व में नहीं कहा जा सकता है।

  • सबसे पहले, प्रबंधन और श्रमिकों दोनों का ध्यान अधिशेष (surplus) के आकार को बढ़ाने पर होना चाहिए न कि अधिशेष के विभाजन पर (यानी मानसिक क्रांति)।

  • दूसरे, दोनों पक्षों को सटीक वैज्ञानिक जांच और ज्ञान के महत्त्व को पहचानना चाहिए, और सभी मामलों में पुराने पारंपरिक व्यक्तिगत निर्णय या राय को त्याग देना चाहिए। प्रबंधन और श्रमिकों, दोनों के मानसिक दृष्टिकोण में यह बदलाव होने के बाद ही कोई संगठन वैज्ञानिक प्रबंधन की शुरूआत के लिए अनुकूल वातावरण मुहैय्या करा सकता है।

मानसिक क्रांति (Mental revolution)

टेलर के अनुसार, इन वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांतों की सफलता की डिग्री 'मानसिक क्रांति' पर निर्भर करेगी| यानी उत्पादकता बढ़ाने के लिए श्रमिकों और प्रबंधन के बीच कार्यों और जिम्मेदारियों की समझ और उन्हें साझा करना, और इसके कारण लाभ और मजदूरी में वृद्धि और उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में कमी भी।

मानसिक क्रांति, या नया दृष्टिकोण (the new outlook), वैज्ञानिक प्रबंधन का मूल है। इसके बिना वैज्ञानिक प्रबंधन संभव नहीं है।

उनके द्वारा प्रस्तावित वैज्ञानिक प्रबंधन के यांत्रिकी के धुंधले बादल के बीच, मानसिक क्रांति उनके वैज्ञानिक प्रबंधन का सार सामने लाती है। यह उनके सिद्धांत का मूल है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि वैज्ञानिक प्रबंधन के दर्शन के अनुसार नियोक्ताओं, श्रमिकों और उपभोक्ताओं के हितों में कोई संघर्ष नहीं है। (क्यूंकि ध्यान सहयोग बढ़ाने और संघर्षों को कम करने पर है)

टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत का आलोचनात्मक मूल्यांकन

टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत की आलोचना

  1. श्रमिक संघठनों का पक्ष

श्रमिक संघठनों के अनुसार:

  • वैज्ञानिक प्रबंधन ने श्रमिक को मशीन का एक हिस्सा भर बना कर रख दिया। टेलर की रुचि केवल कार्य के यांत्रिक पहलुओं में थी।
  • दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि के कारण बेरोजगारी बढ़ती है। (यह गांधीवादी और समाजवादी सिद्धांतों और केन्सियन आर्थिक दर्शन के खिलाफ है)।
  • यह सामूहिक सौदेबाजी (collective bargaining) और ट्रेड यूनियनवाद को समाप्त कर देगा।

वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत के कुछ पहलु स्पष्ट रूप से ट्रेड यूनियनवाद के विरोध में प्रतीत होते हैं:

  • प्रीमियम बोनस सिस्टम (Premium bonus system - डिफरेंशियल पीस रेट सिस्टम) - यह ट्रेड यूनियनवाद और सामूहिक सौदेबाजी के सिद्धांत को नष्ट करता है। 'टेलर के नियम (Taylor’s laws)' (वह कभी भी इस शब्द को सटीक रूप से परिभाषित नहीं करते हैं), खोजे जाने पर, न केवल प्रत्येक कार्य संचालन के लिए सबसे अच्छा तरीका तय करते हैं, बल्कि उचित मुआवजे भी तह करते हैं। उन्होंने लिखा, 'एक दिन में कितना काम हो सकता है, यह वैज्ञानिक जांच से निश्चित होगा, न कि मज़दूरों से बातचीत से'।

  • मानसिक क्रांति (mental revolution) ट्रेड यूनियन को अनावश्यक बना देगी।

वास्तव में, टेलर ने कल्पना की थी कि वैज्ञानिक प्रबंधन और डिफरेंशियल पीस रेट सिस्टम, श्रमिकों और प्रबंधन के बीच 'विवाद और असहमति के लगभग सभी कारणों' को दूर कर देंगे। पर श्रमिक संघठनों ने इसे नकार दिया|

नोट

प्रो. रॉबर्ट होक्सी (Prof. Robert Hoxie) - वैज्ञानिक प्रबंधन और श्रमिक संघवाद के बुनियादी आदर्श असंगत हैं।

  1. प्रबंधन का पक्ष

प्रबंधकों के अनुसार:

  • वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत श्रमिक को अनुचित महत्व देता है।
  • प्रबंधन ने टेलर की थंब ऑफ रूल पर प्रतिकूल टिप्पणी और वैज्ञानिक चयन, प्रशिक्षण और श्रमिकों के विकास को बढ़ावा देने के लिए आलोचना की थी। टेलर ने उच्च प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण की वकालत की। इसके कारण, प्रबंधकों को इन वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने के कारण अपनी नौकरी खोने की भी आशंका थी।
नोट

इस पॉइंट को, विशेषज्ञ बनाम सामान्यवादी (specialist versus generalist) विषय में इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • प्रबंधकीय पदों को धारण करने के लिए पूर्व-आवश्यकता के रूप में प्रबंधन शिक्षा पर टेलर के आग्रह से प्रबंधक खुश नहीं थे। टेलर की राय में 19वीं सदी के अंतकाल का औसत अमेरिकी प्रबंधक अक्षम था।

अतः प्रबंधकों ने महसूस किया कि टेलरवाद के तहत उनके काम और जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी।

  1. मानव संबंधवादी द्वारा आलोचना (सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारकों पर)

मानव संबंधवादीयों (Human Relationists) के अनुसार उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिए संगठन की संरचनात्मक व्यवस्था नहीं, बल्कि काम के प्रति भावनात्मक रवैया महत्वपूर्ण है।

वैज्ञानिक प्रबंधन अवैयक्तिक (impersonal) है, क्योंकि इसने संगठनों में मानव कारक नज़रअंदाज़ कर दिए, और केवल संगठन के औपचारिक पहलुओं पर जोर दिया| अर्थार्त, वैज्ञानिक प्रबंधन यंत्रवत (mechanistic) है। श्रमिक को उत्पादन के एक साधन के रूप में देखने के लिए टेलर की कड़ी आलोचना की जाती है।

टेलर ने श्रमिक प्रेरणा (motivation) को कम करके आँका। टेलरियन का यह प्रस्ताव कि श्रमिक मूल रूप से आलसी होते हैं और काम से बचने की कोशिश करते हैं (सिद्धांत X) को अमान्य माना गया, जैसा कि बाद के शोधों (सिद्धांत Y) से संकेत मिलता है।

एल्टन मेयो के हॉथोर्न प्रयोगों (Elton Mayo's Hawthorne experiments) और ऐसे अन्य प्रयोगों ने मानवीय संबंधों और समूह की गतिशीलता (group dynamics) पर ध्यान केंद्रित किया और टेलरवाद को खारिज कर दिया।

  1. व्यवहारवादीयों (Behaviouralists) का नजरिया

वैज्ञानिक प्रबंधन वास्तविक कार्य स्थिति पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है।

यह श्रमिक की अपनी तरफ से की गयी पहल, श्रमिक की स्वतंत्रता और उसकी जिम्मेदारी का कोई मोल नहीं करता है। इसका ध्यान सिर्फ प्रबंधक द्वारा कार्य के विभाजन और आदेश मनवाने पर है - अर्थार्थ शिल्प कौशल की जगह, ध्यान काम की मात्रा और गति पर है| इसलिए साइमन और मार्च (Simon and March) ने वैज्ञानिक प्रबंधन को 'शारीरिक संगठन सिद्धांत (Physiological organisation theory)' के रूप में संदर्भित किया।

ब्रेवमैन (Braveman) के अनुसार टेलरवाद की विशेषता इस प्रकार है: श्रमिक से शिल्प कौशल का सार निकालना और इसे नियंत्रण की प्रणाली में रखना, और इस प्रकार प्राप्त ज्ञान का उपयोग श्रमिक के नियंत्रण को वैध बनाने के लिए करना।

  1. टेलर कार्य की संरचना को नहीं समझते थे।

a. टेलर कार्यों को उपभागों में विभाजित करने के पक्षधर थे और विशेषज्ञता पर बल देते थे। परन्तु काम के अति-विभाजन से उत्पादकता में कमी आ सकती है।

कार्य गैर-व्यक्तिगत हो जाता है और श्रमिकों और अधिकारियों के बीच संबंध में दूरी आ जाती है| इस कारण श्रमिकों में भागीदारी की भावना का अभाव हो जाता है। यह श्रमिकों को स्वचालित मशीन बना देता है और इसके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

b. टेलर अपनी कार्यात्मक फोरमैनशिप (Functional foremanship) की संकल्पना में योजना और निष्पादन (planning & executive) प्रभाग में लोगों का विभाजन करते हैं| ऐसे में उचित टीम भावना और श्रमिकों की सुरक्षित भागीदारी विकसित करना मुश्किल है। योजना और निष्पादन एक ही कार्य के अलग-अलग भाग हैं; वे पूरी तरह से जुदा नहीं किये जा सकते। अर्थार्थ योजना और क्रियान्वयन के सख्त विभाजन की आलोचना की गयी।

नोट

टेलर प्रबंधन की एक नई और संपूर्ण अवधारणा विकसित करना चाहते थे। प्रबंधकों को सत्तावादी होने के बजाय, नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा। और योजना, आयोजन, नियंत्रण आदि को शामिल करते हुए, अपनी नौकरियों के बारे में व्यापक दृष्टिकोण लेने की सलाह दी।

लेकिन करा उन्होंने इससे उल्टा| उन्होंने अंततः एक सूक्ष्म सिद्धांत ही विकसित किया, जिसका उद्देश्य मात्रात्मक तकनीकों का उपयोग करके उत्पादकता बढ़ाना भर था|

  1. सीमित दायरा: टेलर का सिद्धांत फैक्ट्रीज के फर्श (shop floor) तक ही सीमित है।

  2. टेलर के सिद्धांत का पर्याप्त अनुभवजन्य आधार नहीं है (lack of empirical base) - अर्थार्त इस सिद्धांत में बहुत अधिक मूल्य निर्णय (value judgements) है।

नोट

टेलर के सिद्धांत के सामान्य बिंदु / प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • पूंजीवादी (Capitalist)
  • नियतात्मक (Deterministic)
  • यंत्रवत (Mechanistic)
  • परमाणुवादी (Atomistic)
  • तर्कवादी (Rationalistic)
  • स्वैच्छिक (Voluntaristic)
  • औपचारिक (Formalistic)
  • मोनो मोटिवेशनल --- यानी मोटिवेशन बाई मनी। टेलर के अनुसार कार्यकर्ता मूल रूप से आलसी होते हैं और उन्हें गाजर और छड़ी (carrot & stick) के मिश्रण के माध्यम से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
  • मूल्य मुक्त (Value free)
  • सत्तावादी (Authoritarian)
  • यूनी-दिशात्मक (Uni-directional) - पावर ओवर, अर्थार्थ प्रबंधन आदेश देगा और श्रमिक उसे मानेंगे, इसके विपरीत नहीं|
  • यूनी डायमेंशनल (Uni-dimensional)
  • मानसिक क्रांति (Mental revolution)
  • कार्यात्मक फोरमैनशिप (Functional foremanship) - एकाधिक पर्यवेक्षक (Multiple supervisors), विशेषज्ञता और केंद्रीकरण
  • वैज्ञानिक और व्यवस्थित - अभ्यास पर आधारित।
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